जसवंत सिंह की पुस्तक ‘जिन्ना: इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस’ पर उठा विवाद या कहें उठाया गया विवाद बिलकुल ऐसा है जैसे कौआ कान ले गया और हम उसके पीछे दौड़ रहे हैं। पहले कान को टटोले बिना। ऐसा क्या लिख दिया जसवंत सिंह ने, जिससे सिर्फ भाजपा के पौरुष पर प्रश्न चिन्ह लग गया। बिना पढ़े-समझे बेतुके आरोप संघ परिवार की पुराणी खसलत है। जसवंत सिंह ने वही लिखा, जो संघ पिछले 60 साल से चीख चीख कर कहता रहा है कि भारत विभाजन का सबसे बड़ा कारण पंडित नेहरू रहे हैं।
उस समय के सभी नेता, जिन्होंने विभाजन का प्रस्ताव पास कराया था, वह भी कम अपराधी नहीं हैं, चाहे उसमें गांधीजी हों या सरदार पटेल।
बेचारे जसवंत सिंह की किताब क्या आडवाणी जी के बयान, जो पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर दिया था, से ज्यादा घातक है। अगर जिन्ना की हकीकत बयान करना अपराध है तो जसवंत सिंह को सजा और आडवाणी जी को प्रधानमंत्री वेटिंग और नेता प्रतिपक्ष बनाना इन्साफ नहीं, दोगलापन है। लगता है भाजपा के बारे में कहा गया सत्य है कि वहां पर तानाशाही हावी है।
जसवंत सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य है। उन्हें अपमानित करके अलोकतांत्रिक तरीके से भाजपा से निकालना इस बात का प्रमाण है भाजपा में लोकतंत्र नहीं है। इस समय के नेताओं में इतनी क्षमता भी नहीं है कि वो अपने को साबित करें इसलिए पुराने स्थापित व्यक्तित्व को बेइज्ज़त कर उन्हें हटा रहे हैं या यह कहे बड़ी लाइन तो खीच नहीं सकते लेकिन बड़ी लाइन को मिटा कर अपने को बड़ा साबित करने पर लगे हैं। जसवंत सिंह की बात तक नहीं सुनी गई। उन्होंने 30 साल से ज्यादा वक्त पार्टी को दिया, लेकिन उन्हें एक झटके में काटकर अलग कर दिया गया।
दरअसल, मेरा मानना है कि राजनाथ सिंह जैसे बिना धरातल के राष्ट्रीय (?) नेता भाजपा को मिटाने का संकल्प कर चुके हैं। जयवंत सिंह इस संकल्प का एक पढ़ाव हैं।
(तीन बार आवंला (बरेली) से सांसद रहे राजवीर सिंह संघ के प्रचारक रहे हैं। जनसंघ के नगर मंत्री से भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और किसान मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। उनका मानना है कि भाजपा में सत्य बोलने की छूट नहीं है, और जसवंत सिंह की तरह उन्हें भी इसी बात की सजा मिली)
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।